पाइप लाइन से सप्लाई होने वाले पीने के पानी के लिए आएंगे बीआईएस नियम, राज्यों के साथ बनी सहमति

लोगों को शुद्ध पेय जल मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार पीने के पानी के लिए नए नियम लाने वाली है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने बताया कि पाइपलाइन से पानी की सप्लाई के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस मानक) अनिवार्य करने पर राज्य सरकारों के साथ सहमति बन गई है। इस समय पाइप से जल आपूर्ति के लिए बीआईएस मानक अपनाना राज्यों पर निर्भर करता है। लेकिन अब केंद्र सरकार इसे अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है और इसके लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने जल शक्ति मंत्रालय को पत्र लिखा है।



देश में ज्यादातर जगहों के नमूने फैल
पासवान ने कहा है कि इस संबंध में राज्यों की सरकारों दो-तीन महीने बाद फिर से चर्चा की जाएगी। उन्होने बताया कि पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए, बीआईएस ने परीक्षण के दो चरण आयोजित किए। पहले चरण में, दिल्ली के 11 जगहों से पीने के पानी के नमूने लिए गए थे और दूसरे चरण में, 20 राज्यों की राजधानियों में 10 स्थानों से 10 नमूने लिए गए थे। बीआईएस अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई में पीने के पानी के 11 गुणवत्ता मानकों में से लगभग 10 पर नमूने विफल साबित हुए है।



तीसरे चरण में 100 स्मार्ट शहरों के पानी की होगी जांच
पासवान के अनुसार तीसरे चरण में पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानी और 100 स्मार्ट शहरों में पाइप लाइन से आने वाले पीने के पानी के नमूनों का परीक्षण किया जाएगा और उनके परिणाम 15 जनवरी 2020 तक आने की उम्मीद है। वहीं चौथे चरण में, देश के सभी जिला मुख्यालयों से पानी के नमूनों का परीक्षण किया जाएगा जिसका परिणाम 15 अगस्त तक आने की उम्मीद है।


बीआईएस के पानी को लेकर मौजूदा नियम
बीआईएस के अनुसार पानी की गुणवत्ता बीआईएस-10500 के तहत मापी जाती है। बीआईएस ने फिलहाल ड्रिकिंग वॉटर और पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर के मानकों के लिए नियम तय किए हैं। इनके अनुसार पानी में टीडीएस की मात्रा 0 से 500 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) के बीच होनी चाहिए। साथ ही पीएच लेवल 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। बीआईएस के तहत पानी में कुल 82 तरह की अशुद्धियों की जांच की जाती है।